Iradon Ke Pare

Iradon Ke Pare


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जैसे जमींन एक समान नही होती उसमे गड्ढे भी होते हैं, उसी तरह इंसान के जिंदगी में भी उतार चढाव होते हैं। कभी खुशी, कभी गम ये सिलसिला लगा रहता है। लेकिन कुछ शक्स जान युझकर आंखें हो कर भी अंधपन की रजाई ओढ लेते हैं, ऐसे शक्स को रास्ते पर लाना जरुरी होता है। यह हम सब की जिम्मेदारी है। कोई सभा मे भापण देकर, कोई लोक सिनेमा, तमाशा, कविता, लेख, और सभी मीडिया के माध्यम से, और अलग अलग साधनों के द्वारा अपना अपना काम करते है। वही काम मैंने कविता के माध्यम से करने की कोशिश की है। समाज में जो गलत चल रहा है गलत रास्ते पर लोग ज्यादातर आज की युवा पीढ़ी चल रही है। उनको रास्ते पर लाने हेतू मेरा एक काव्यसंग्रह जनता की सेवा में अर्पित करती हूं। इसके पीछे प्रेरणा मेरे दिवंगत पति, माता, पिता, मेरे बच्चे, गुरुजन, महापुरुषों की विचारधारा है। मेरी कविता इस समाज में रास्ता भुले हुए मुसाफिरों को रास्ते पर लाने का जरिया बन सकती है, इस समाज को दिल दिमाग शांत रख कर भगवान बुद्ध के नजरीयों से देखने का माध्यम बन सकती है। मैंने इस समाज को दिल, दिमाग शांत कर, भगवान बुध्द के नजरियों से देखने का साहस किया है। इस कार्य में में कितना सफल हो सकी ये बात मैंने कहना उचित नहीं है। इस लिए काव्यसंग्रह को जरिया रखकर जनता के दरबार में इसे प्रस्तुत करने जा रही हूं। मुझे आपका अभिप्राय चाहिय। अच्छा हो या बुरा हो, सुझाव जल्दी बताना होगा। यह कष्ट आप लेंगे, यह विश्वास रखकर मेरे शब्द को विराम देती हूं।

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